गाय का निबंध | Gay Ka Nibandh | Essay in Hindi

दोस्तो Gay Ka Nibandh भारतीय स्कूलों में पूछे जाने वाला सबसे सामान्य सवाल है क्योंकि गाय हमारे देश की संस्कृति से जुड़ी एक पालतू पशु है। समाज में इसे अन्य पशुओं की तुलना में एक अलग ही जगह मिला हुआ है। घर के हर शुभ कार्य में गाय से उत्पन्न होने वाले पदार्थ का प्रयोग होता है। गाय कई क्षेत्र में लाभकारी है विशेषकर कृषि के क्षेत्र में, क्योंकि यह एक अच्छे आय का स्रोत है।

Gay Ka Nibandh | गाय का निबंध | Essay in Hindi
Gay Ka Nibandh | गाय का निबंध | Essay in Hindi

गाय का निबंध (Gay Ka Nibandh)

आज हम आपके लिए Gay Ka Nibandh लेकर आए हैं जो स्कूल और कॉलेज में पढ़ा और लिखा जाता है और ये बहुत ही ज्यादा चर्चित विषय है।

प्रस्तावना

गाय हमारे देश का सबसे सम्मानित पशु है, हमारे शास्त्रों में इसे मां का दर्जा दिया गया है क्योंकि एक गाय अपने जन्म से लेकर मृत्यु तक हम स्वार्थी इंसानों को एक मां की तरह पालती है। हम सब जन्म देने वाली मां का दूध कुछ ही सालों तक पीते हैं लेकिन गो माता का दूध हम जीवन भर विभिन्न तरीकों से उपयोग करते हैं। गाय का जीवन लोक कल्याण के लिए समर्पित है इस लिए इसे सम्मान से गो माता कहा जाता है।

गाय की शारीरिक रचना

गाय की शारीरिक बनावट सुडौल और विभिन्न रंगों की होती है, गाय के चार पैर, दो सिंग, एक मुंह, दो नाक, चार थन और एक पूंछ होती है। कुछ गायों की सिंग अंदर की तरफ घुसी होती है तो कुछ गायों की सिंग बाहर ही तरफ निकली हुई होती है। कुछ गाय दिखने में बहुत ही विशाल होती है और कुछ गाय छोटी होती है। गाय के विभिन्न प्रकार होते हैं और इन गायों के प्रकार से भी इनके रूप में अंतर होता है।

जिन गायों का उपयोग दुग्ध उत्पादन के लिए किया जाता है इन गायों का आकार सामान्य गायों के मुकाबले ज्यादा बड़ा होता है। गांव में पाले जाने वाले गाय जिसे ज्यादतर खेती के मकसद से पाला जाता है उनका आकार छोटा होता है और ये गाय कम दूध देती है।

गाय के प्रकार

गाय के कई प्रकार होते हैं, जिन्हे रंगों और शारीरिक बनावट से पहचाना जा सकता है। जो जगह और जलवायु के अनुसार अपने अपने इलाके में पाए जाते हैं।

भारत में पाए जाने वाले प्रमुख गायों की प्रजाति निम्नलिखित है :-

1. गीर (Gir)

सौराष्ट्र और गुजरात में पाई जाने वाली यह गाय भारत की सबसे अच्छे गुणवता वाली गाय मानी जाती है, यह गाय एक साल में 2000 से 6000 लीटर तक दूध उत्पादन करने की क्षमता रखती है।

2. साहीवाल (Sahiwal)

पंजाब, उत्तर प्रदेश और हरयाणा में मुख्य रूप से पाई जाने वाली यह यह गाय सालाना 2000 से लेकर 4000 लीटर दूध का उत्पादन करती है। इस गाय को "रेड गोल्ड" के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि इसका रंग लाल होता है।

3. लाल सिन्धी (Red Sindhi)

पाकिस्तान के सिंधी सूबा में पाई जाने वाली यह गाय एक साल में 1100 से 2600 लीटर दूध देती है, यह भी साहीवाल की तरह ही लाल रंग की होती है पर इसके दूध की गुणवत्ता साहीवाल से अच्छी होती है।

4. राठी (Rathi)

1800 से 3500 लीटर दूध देने वाली यह गाय बीकानेर (राजस्थान), हरयाणा, और पंजाब में पाई जाती है यह एक हाईब्रिड गाय है जो साहीवाल, लाल सिंधी, थारपारकर और धनी की हाईब्रिड है।

5. थारपारकर (Tharparkar)

सिंध (पाकिस्तान), कच्छ, जैसलमेर और जोधपुर में पाई जाने वाली यह गाय एक साल में 913 से 2150 लीटर दूध देती है।

उपरोक्त दिए गए गाय भारत में मुख्य रूप से पाए जाते हैं इनके अलावा भारत में और भी गायों की प्रजाति पाई जाती है जैसे - देओनी (Deoni), हरिआना (Hariana), कंकरेज (Kankrej), ओंगोल (Ongole), लाल कंधारी (Red Kandhari), निमारी (Nimari), मालवी (Malvi), डांगी (Dangi), खिल्लारी (Khillari), अमृतमहल (Amritmahal), हल्लीकर (Hallikar), कंगायम (Kangayam), सीरी (Siri), बाचौर (Bachaur), मेवाती (Mewati), कृष्णा वैली (Krishna Valley), पोंवर (Ponwar) और वेचुर (Vechur), इन गायों की दूध देने की क्षमता थोड़ी कम है।

गाय का महत्व

गायों का महत्व हमारे जीवन में सदियों से रहा है, चाहे वो सामाजिक महत्व हो या आर्थिक महत्व गाय इन दोनो में ही हमारे लिए बहुत ही महत्त्वपूर्ण है।

1. गाय का सामाजिक महत्व

समाज में गाय को मां का दर्जा दिया गया है और गाय को एक देवी की तरह पूजा भी जाता है। गाय के द्वारा उत्पन्न चीजों को शुभ माना जाता है और उन चीजों को घर के हर शुभ कार्यों में उपयोग किया जाता है।

2. गाय का आर्थिक महत्व

आर्थिक रूप से गाय हमारे लिए बहुत ही महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि यह कई अलग अलग तरह से व्यवसाय में मदद करती है, मुख्यतः दुग्ध उत्पादन में और इसके अलावा इसके मल मूत्र से खाद का उत्पादन किया जाता है।

उपसंहार

गाय हमारे जीवन में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, लेकिन गाय सवाल ये है की हम गाय के लिए क्या करते हैं। प्रदूषण की वजह से कई गायों की मृत्यु हो जाती है और इस का सबसे बड़ा कारण है प्लास्टिक की थैली जो आज वहां भी पहुंच चुकी है जहां आज तक इंसान भी नही पहुंच पाया है। ये बेजुबान गाय इन थैलियों को खाकर मर जाती है क्योंकि ये थैली उनके आंतो में फस जाती है। 

Next Post
No Comment
Add Comment
comment url